|| पार्वतीवल्लभनीलकण्ठाष्टकम् || || Sri Parvati Vallabh Neelkanthastkam || नमो भूतनाथं नमो देवदेवं नमः कालकालं नमो दिव्यतेजम् । नमः कामभस्मं नमश्शान्तशीलं भजे पार्वतीवल्लभं नीलकण्ठम् ॥ १॥ सदा तीर्थसिद्धं सदा भक्तरक्षं सदा शैवपूज्यं सदा शुभ्रभस्मम् । सदा ध्यानयुक्तं सदा ज्ञानतल्पं भजे पार्वतीवल्लभं नीलकण्ठम् ॥ २॥ श्मशाने शयानं महास्थानवासं शरीरं गजानं सदा चर्मवेष्टम् । पिशाचं निशोचं पशूनां प्रतिष्ठं भजे पार्वतीवल्लभं नीलकण्ठम् ॥ ३॥ फणीनाग कण्ठे भुजङ्गाद्यनेकं गले रुण्डमालं महावीर शूरम् । कटिं व्याघ्रचर्मं चिताभस्मलेपं भजे पार्वतीवल्लभं नीलकण्ठम् ॥ ४॥ शिरश्शुद्धगङ्गा शिवा वामभागं बृहद्दिव्यकेशं सदा मां त्रिनेत्रम् । फणी नागकर्णं सदा भालचन्द्रं भजे पार्वतीवल्लभं नीलकण्ठम् ॥ ५॥ करे शूलधारं महाकष्टनाशं सुरेशं वरेशं महेशं जनेशम् । धनेशस्तुतेशं ध्वजेशं गिरीशं भजे पार्वतीवल्लभं नीलकण्ठम् ॥ ६॥ उदानं सुदासं सुकैलासवासं धरा निर्धरं संस्थितं ह्यादिदेवम् । अजा हेमकल्पद्रुमं कल्पसेव्यं भजे पार्वतीवल्लभं नीलकण्ठम् ॥ ७॥ मुनीनां वरेण्यं ग
Shani Chalisa शनि देव को प्रसन्न करने के लिए लोग तरह - तरह के उपाय करते हैं। धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष के अनुसार यदि शनि ग्रह कमजोर हो जाए तो बनते काम बिगड़ने लगते हैं। अगर आप ढैय्या, शनि की साढ़े सती या कुंडली में शनि देव कोई अशुभ योग में हो या किसी भी प्रकार से कोई समस्या उत्पन्न कर रहा हो तो आप उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं. लेकिन माना ये भी जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में ये ग्रह मजबूत होता है, ऐसे व्यक्ति जीवन में काफी तरक्की करते हैं। तो आप भी शनि देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं उसके लिए हम आपको बहुत ही सरल तरीका बताने जा रहे हैं । आप शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ करें और शनिदेव की विधि विधान से पूजा कर उनकी आरती जरूर उतारें और दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करना भी शनि जन्य पीड़ा मे राहत देता है खास तौर पर जब आप शनि की साढ़े सती से गुजर रहे हो. शनि देव की पूजा हमेशा सूर्यास्त के बाद करे अर्थात जब सूर्य अस्त हो गया हो, क्योंकि धार्मिक मान्यता के अनुसार शनि देव की पूजा सूर्य अस्त होने के बाद ही की जाती है. आइए शुरू करते हैं... शनि देव चालीसा