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अप्रैल, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

|| हम बार बार बीमार क्यों होते हैं, कैसे जाने || क्या है रोग

रोग को  कैसे समझो... डॉक्टर के पास जा रहे हो......??? क्या ढूंढने.......?? अपनी बीमारी का इलाज खोजने ...... क्या कहेगा आपका बड़ा महंगा डॉक्टर...??? अनेक जांच करवाएगा,  आपकी बीमारी को एक अच्छा , औऱ बड़ा नाम देगा......... और आप खुश हो जायेगे की दवा अब चमत्कार करेगी, घरवाले भी आपको टाइम पर दवाएं देकर अपना सारा दायित्व निभाएंगे....... क्या आप बीमारी को समझते है...... बुखार आपका मित्र है जैसे ही कोई वायरस शरीर मे आता है, शरीर अपना तापमान बढा देता है, वह तापमान को बढाकर उस वायरस को मारना जाता है, लेकिन आप गोली देकर तापमान कम कर देते है, जिससे वायरस शरीर मे घर बना लेता है और 4-6 महीने में बड़े रोग के रूप में आता है,  सूजन आपकी दोस्त है जैसे ही आपको कोई चोट लगी, दर्द हॉगा, कुछ घण्टे के बाद सूजन आ जायेगी, दरअसल चोट लगने के बाद उस स्थान पर रक्त रूकने लगता है, तो दिमाग शरीर को सिग्नल भेजता है, जिससे चोट वाले स्थान पर सूजन आ जाती है, सूजन आती ही इसीलिये है, की शरीर वहां पर पानी की मात्रा को बढा देता है, जिससे रक्त ना जमे, और तरल होकर रक्त निकल जाए, शरीर तो अपना काम कर रहा था,  लेकिन आप जैसे ही गोली

मंगल चण्डिका स्तोत्र mangal chandika stotra

  मंगलीदोष निवारणार्थे मंगल चण्डिका स्तोत्र     अगर आपकी कुण्डली में मांगलिक दोष है, जिसके कारन आपका   विवाह  नहीं हो रहा हो  विवाह में विलम्ब हो रहा है या एक से अधिक विवाह का योग है तो अवश्य यह अनुष्ठान करना या करवाना चाहिए..  मंत्र  आं ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वपूज्ये देवी मंगलचण्डिके हूं हूं फट् स्वाहा  मङ्गल चण्डिका स्तोत्र   || ध्यानम् || देवीं  षोडशवर्षीयां  शश्वत्सुस्थिरयौवनाम् |  बिंबोष्ठीं सुदतीं शुद्धां शरत्पद्मनिभानननाम् ||  श्वेतचंपकवर्णाभां सुनीलोत्पल लोचनाम् |  जगद्धात्रीं च दात्रीं च सर्वेभ्यः सर्वसंपदाम् | संसार सागरे घोरे ज्योतिरुपां सदाभजे ||  || स्तोत्रम् ||  || महादेव उवाच ||  रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मंगलचण्डिके |  हारिके विपदां राशेर्हर्षमङ्गलकारिके || १ ||  हर्ष मंगलदक्षे च हर्षमंगलदायिके |  शुभे मंगलदक्षे च शुभे मंगलचण्डिके || २ ||  मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगलमंगले |  सतां मंगलदे देवि सर्वेषां मङ्गलालये || ३ ||  पूज्ये मंगलवारे च मङ्गलाभीष्ट देवते |  पूज्ये मंगलभूपस्य मनुवंशस्य संततम् || ४ ||  मंगलधिष्ठातृ देवी मङ्गलानां च मंगले |  संसारमंगलाधारे मोक्षमंगलदायिनी || ५