https://www.sambhooblog.in/?m=1 sambhooblog (सहायक जानकारी, एक कदम ज्ञान की ओर) सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अप्रैल, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पार्वतीवल्लभनीलकण्ठाष्टकम् || Sri Parvati Vallabh Neelkanthastkam ||

 || पार्वतीवल्लभनीलकण्ठाष्टकम्  || || Sri Parvati Vallabh Neelkanthastkam || नमो भूतनाथं नमो देवदेवं     नमः कालकालं नमो दिव्यतेजम् । नमः कामभस्मं नमश्शान्तशीलं     भजे पार्वतीवल्लभं नीलकण्ठम् ॥ १॥ सदा तीर्थसिद्धं सदा भक्तरक्षं     सदा शैवपूज्यं सदा शुभ्रभस्मम् । सदा ध्यानयुक्तं सदा ज्ञानतल्पं     भजे पार्वतीवल्लभं नीलकण्ठम् ॥ २॥ श्मशाने शयानं महास्थानवासं     शरीरं गजानं सदा चर्मवेष्टम् । पिशाचं निशोचं पशूनां प्रतिष्ठं     भजे पार्वतीवल्लभं नीलकण्ठम् ॥ ३॥ फणीनाग कण्ठे भुजङ्गाद्यनेकं     गले रुण्डमालं महावीर शूरम् । कटिं व्याघ्रचर्मं चिताभस्मलेपं     भजे पार्वतीवल्लभं नीलकण्ठम् ॥ ४॥ शिरश्शुद्धगङ्गा शिवा वामभागं     बृहद्दिव्यकेशं सदा मां त्रिनेत्रम् ।  फणी नागकर्णं सदा भालचन्द्रं       भजे पार्वतीवल्लभं नीलकण्ठम् ॥ ५॥ करे शूलधारं महाकष्टनाशं     सुरेशं वरेशं महेशं जनेशम् । धनेशस्तुतेशं ध्वजेशं गिरीशं       भजे पार्वतीवल्लभं नीलकण्ठम् ॥ ६॥ उदानं सुदासं सुकैलासवासं       धरा निर्धरं संस्थितं ह्यादिदेवम् । अजा हेमकल्पद्रुमं कल्पसेव्यं     भजे पार्वतीवल्लभं नीलकण्ठम् ॥ ७॥ मुनीनां वरेण्यं ग

मंगल चण्डिका स्तोत्र mangal chandika stotra

  मंगलीदोष निवारणार्थे मंगल चण्डिका स्तोत्र     अगर आपकी कुण्डली में मांगलिक दोष है, जिसके कारन आपका   विवाह  नहीं हो रहा हो  विवाह में विलम्ब हो रहा है या एक से अधिक विवाह का योग है तो अवश्य यह अनुष्ठान करना या करवाना चाहिए..  मंत्र  आं ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वपूज्ये देवी मंगलचण्डिके हूं हूं फट् स्वाहा  मङ्गल चण्डिका स्तोत्र   || ध्यानम् || देवीं  षोडशवर्षीयां  शश्वत्सुस्थिरयौवनाम् |  बिंबोष्ठीं सुदतीं शुद्धां शरत्पद्मनिभानननाम् ||  श्वेतचंपकवर्णाभां सुनीलोत्पल लोचनाम् |  जगद्धात्रीं च दात्रीं च सर्वेभ्यः सर्वसंपदाम् | संसार सागरे घोरे ज्योतिरुपां सदाभजे ||  || स्तोत्रम् ||  || महादेव उवाच ||  रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मंगलचण्डिके |  हारिके विपदां राशेर्हर्षमङ्गलकारिके || १ ||  हर्ष मंगलदक्षे च हर्षमंगलदायिके |  शुभे मंगलदक्षे च शुभे मंगलचण्डिके || २ ||  मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगलमंगले |  सतां मंगलदे देवि सर्वेषां मङ्गलालये || ३ ||  पूज्ये मंगलवारे च मङ्गलाभीष्ट देवते |  पूज्ये मंगलभूपस्य मनुवंशस्य संततम् || ४ ||  मंगलधिष्ठातृ देवी मङ्गलानां च मंगले |  संसारमंगलाधारे मोक्षमंगलदायिनी || ५