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|| हम बार बार बीमार क्यों होते हैं, कैसे जाने || क्या है रोग

रोग को  कैसे समझो... डॉक्टर के पास जा रहे हो......??? क्या ढूंढने.......?? अपनी बीमारी का इलाज खोजने ...... क्या कहेगा आपका बड़ा महंगा डॉक्टर...??? अनेक जांच करवाएगा,  आपकी बीमारी को एक अच्छा , औऱ बड़ा नाम देगा......... और आप खुश हो जायेगे की दवा अब चमत्कार करेगी, घरवाले भी आपको टाइम पर दवाएं देकर अपना सारा दायित्व निभाएंगे....... क्या आप बीमारी को समझते है...... बुखार आपका मित्र है जैसे ही कोई वायरस शरीर मे आता है, शरीर अपना तापमान बढा देता है, वह तापमान को बढाकर उस वायरस को मारना जाता है, लेकिन आप गोली देकर तापमान कम कर देते है, जिससे वायरस शरीर मे घर बना लेता है और 4-6 महीने में बड़े रोग के रूप में आता है,  सूजन आपकी दोस्त है जैसे ही आपको कोई चोट लगी, दर्द हॉगा, कुछ घण्टे के बाद सूजन आ जायेगी, दरअसल चोट लगने के बाद उस स्थान पर रक्त रूकने लगता है, तो दिमाग शरीर को सिग्नल भेजता है, जिससे चोट वाले स्थान पर सूजन आ जाती है, सूजन आती ही इसीलिये है, की शरीर वहां पर पानी की मात्रा को बढा देता है, जिससे रक्त ना जमे, और तरल होकर रक्त निकल जाए, शरीर तो अपना काम कर रहा था,  लेकिन आप जैसे ही गोली

|| हम बार बार बीमार क्यों होते हैं, कैसे जाने || क्या है रोग

रोग को  कैसे समझो...


डॉक्टर के पास जा रहे हो......???

क्या ढूंढने.......??

अपनी बीमारी का इलाज खोजने ......


क्या कहेगा आपका बड़ा महंगा डॉक्टर...???

अनेक जांच करवाएगा,  आपकी बीमारी को एक अच्छा , औऱ बड़ा नाम देगा.........


और आप खुश हो जायेगे की दवा अब चमत्कार करेगी, घरवाले भी आपको टाइम पर दवाएं देकर अपना सारा दायित्व निभाएंगे.......


क्या आप बीमारी को समझते है......


बुखार आपका मित्र है

जैसे ही कोई वायरस शरीर मे आता है, शरीर अपना तापमान बढा देता है, वह तापमान को बढाकर उस वायरस को मारना जाता है, लेकिन आप गोली देकर तापमान कम कर देते है, जिससे वायरस शरीर मे घर बना लेता है और 4-6 महीने में बड़े रोग के रूप में आता है, 


सूजन आपकी दोस्त है

जैसे ही आपको कोई चोट लगी, दर्द हॉगा, कुछ घण्टे के बाद सूजन आ जायेगी, दरअसल चोट लगने के बाद उस स्थान पर रक्त रूकने लगता है, तो दिमाग शरीर को सिग्नल भेजता है, जिससे चोट वाले स्थान पर सूजन आ जाती है, सूजन आती ही इसीलिये है, की शरीर वहां पर पानी की मात्रा को बढा देता है, जिससे रक्त ना जमे, और तरल होकर रक्त निकल जाए,

शरीर तो अपना काम कर रहा था,  लेकिन आप जैसे ही गोली खांते है, दिमाग का अपना सिंगल टूट जाता है, वो भी सोचता है अच्छा ये इंसान ज्यादा होशियार है, तो तुम्ही कर लो अब जो करना है........


डॉक्टर के पास जाकर न आपने रोग का कारण जाना और न ही स्वास्थ के नियम जाने.......


और यदि आप दवाओं का डिब्बा साथ लेकर ही रखे तो आस पास वाले भी सोचेंगे किंतना जागरूक आदमी है दवाएं लेना नही भूलता......... 


क्यों अपने आप को धोखा देते है....??


क्या है दवाये........???

एक प्रोसेस्ड केमिकल, और अगर हर्बल भी है तो एक अंनप्रोसेसड केमिकल........


जो शरीर के लिए भोजम नही वो जहर ही तो हुआ।...??

क्योंकि शरीर हर विजातीय तत्व का बहिष्कार करेगा ही।।।


इस संसार मे कोई भी जीव, एलोवेरागिलोय, आदि नही खाता क्योंकि वो अपना भोजन ही खांते है.......


दवाएं खाकर आपकी अपनी ही जीवनी शक्ति का नाश हो रहा है आप सोचते है मैं स्वास्थ कमा रहा हु, भ्रम में है आप......आप हर रोज अपनी जीवनी शक्ति कम कर रहे है........


किसी भी बीमारी से बाहर कोई दवाई या काढ़ा नही निकालती, बल्कि जीवनी शक्ति ही ये काम करती है......


आप जब बीमार होने के लिए मेहनत नहीं करते, तो ठीक होने के लिए मेहनत क्यों...????

आप वर्षो तक गंदा खांते आते है,और एक दिन बीमार हो जाते है, गंदा छोड़ प्राकृतिक खांना शुरू करिये , है शरीर स्वयम को स्वस्थ कर लेगा, क्योंकि ये शरीर बीमार होने के लिए डिजाइन ही नही हुआ .....…


दुनिया की कोई भी चिकित्सा हमारी खुद की क्षमता पर नाच रही है, शरीर मे यदि जीवनी शक्ति नही कोई भी चिकित्सा बेकार है........


रोग का कारण निकाले बगैर और प्राकृतिक भौजन के बिना कोई भी दवा आपको ठीक कर देगी, ये आपकी सबसे बड़े गलती है.......भ्रम है .....


जो डॉक्टर ,वैद्य, हकीम, खुद सुबह दोपहर शाम गोलियां खा रहा वह तुम्हे क्या ठीक करेगा.…....


मेरी बात भी होती तो लोग बड़े, गर्व से कहेंगे मेरे फेमिली डॉक्टर है ,फलाने शहर के सबसे बड़े डॉक्टर है......


अबे वो उल्लू बनाता आपको और आप हो भी.......


कोई भी रोग आपको जगाने के लिए आता है,  आपकी आंख खोलने के लिए आता है, वो दुश्मन नही है , बल्कि आपको ये बताता है कि आप कुछ गलत कर रहे है..........


आपको कुछ सिखाना नही है, आप सब जानते है, की ताजी हवा, सूर्य स्नान, जल स्नान, योग, प्राणायाम, ऊपवास, मेडिटेशन,मुस्कराना आदि सब अच्छी चीज है लेकिन आप बस पढ़ते है, और सोचते है कल से करेगे.........


पढ़कर ठीक हॉगे .......


खुद से पूछिए की क्या मैं वास्तविक भूख से खाता हूं.......या आदत वाश या समयवश खाता हु, की सुबह शाम खांना ही है........


लोग तो सिर्फ हवा, धूप, आदि खाकर ही 20 सालों से जीवित है, पानी तक त्याग चुके।।


एक बात समझ लो, सन्सार का भगवान और शरीर का भगवान दोनो अलग है, तो शरीर को उसके भगवान के अनुसार चलाइये......


एक कदम आयुर्वेद की ओर 

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