सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जुलाई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दुर्गा सप्तशती पाठ 5 पंचम अध्याय || by geetapress gorakhpur ||

 ॥ श्री दुर्गा सप्तशती ॥ पञ्चमोऽध्यायः देवताओं द्वारा देवी की स्तुति, चण्ड-मुण्ड के मुख से अम्बिका के रूप की प्रशंसा सुनकर शुम्भ का उनके पास दूत भेजना और दूत का निराश लौटना ॥विनियोगः॥ ॐ अस्य श्रीउत्तरचरित्रस्य रूद्र ऋषिः, महासरस्वती देवता, अनुष्टुप् छन्दः, भीमा शक्तिः, भ्रामरी बीजम्, सूर्यस्तत्त्वम्, सामवेदः स्वरूपम्, महासरस्वतीप्रीत्यर्थे उत्तरचरित्रपाठे विनियोगः। ऊँ इस उत्तरचरित्रके रुद्र ऋषि हैं, महासरस्वती देवता हैं, अनुष्टुप् छन्द है, भीमा शक्ति है, भ्रामरी बीज है, सुर्य तत्त्व है और सामवेद स्वरूप है । महासरस्वती की प्रसन्नता के लिये उत्तर चरित्र के पाठ में इसका विनियोग किया जाता है । ॥ध्यानम्॥ ॐ घण्टाशूलहलानि शङ्‌खमुसले चक्रं धनुः सायकं हस्ताब्जैर्दधतीं घनान्तविलसच्छीतांशुतुल्यप्रभाम्। गौरीदेहसमुद्भवां त्रिजगतामाधारभूतां महा- पूर्वामत्र सरस्वतीमनुभजे शुम्भादिदैत्यार्दिनीम्॥ जो अपने कर कमलों में घण्टा, शूल, हल, शंख, मूसल, चक्र, धनुष और बाण धारण करती हैं, शरद ऋतु के शोभा सम्पन्न चन्द्रमा के समान जिनकी मनोहर कान्ति है, जो तीनों लोकों की आधारभूता और शुम्भ आदि दैत्यों का नाश करनेव...