ऋण मोचक मंगल स्तोत्
यदि आप भी कर्ज मे फंसे हुए हैं, श्रेष्ठ प्रयास करने के बाद भी आपका कर्जा उतर नहीं रहा है. आप चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं तो इस स्थिति में भूमि पुत्र ' मंगल का' “ऋणमोचक मंगल स्तोत्र” का नियमित पाठ करते हैं तो निश्चित ही धीरे धीरे आपका ऋण उतरना शुरू हो जाएगा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भूमि पुत्र मंगल को धन की देवी महालक्ष्मी का सहोदर बताया गया है. और कर्ज भी तभी उतर सकता है जब स्वयं महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. अतः ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ आप एक बार जरूर करके देखे आपको इसके चामत्कारिक लाभ होंगे." देखिए अगर आप पर कर्ज चढ़ चुका है तो उसको उतरने के लिए कोई चमत्कार तो नहीं होगा, उसका एक ही उपाय है कि कर्ज उतारने के लिए धन आगमन का श्रोत हो, लेकिन शास्त्र में वर्णित कुछ उपायों को करने से आपके धन आगमन के मार्ग खुलने लगते हैं, धन आगमन के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर होने लगती है.और धन का आगमन होगा तो कर्जा भी धीरे-धीरे उतरना शुरू हो जाएगा".
इस पाठ को शुरू करने के लिए सर्वप्रथम आपको पंचांग के अनुसार किसी शुभ तिथि, वार का चयन कर लेना चाहिए। यह पाठ मंगलवार ( Tuesday) से ही प्रारम्भ करना चाहिए अन्य दिन को नही।जैसा की आप जानते है मंगलवार का सम्बन्ध हनुमानजी से है और हनुमानजी समस्त प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्रदान करने वाले है यह श्लोक भी हनुमान जी की ही आराधना के रूप में प्रतिष्ठित है
इस पाठ को करने से पूर्व आप नित्य क्रिया से निवृत्त होकर लाल वस्त्र धारण करें और लाल रंग का आसान बिछाकर मंगल यन्त्र व महावीर हनुमान जी को स्थापित करना चाहिए , सिंदूर व चमेली के तेल का चोला हनुमानजी को अर्पित कर अपने बाये हाथ की तरफ देशी घी का दीप व दाहिने हाथ की तरफ तिल के तेल का दीप जलाकर स्थापित करना चाहिए। इसके बाद हनुमान जी को गुड़, चने व बेसन का भोग लगाना चाहिए।
मंगल देव (मंगल यन्त्र को प्राण प्रतिष्ठित कर) व हनुमान जी के सामने ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ, लाल वस्त्र धारण कर के हीआरम्भ करना चाहिए। यह पाठ अपनी श्रद्धा अनुसार 1, 3, 5, 9, अथवा 11 पाठ 43 दिन तक नित्य करना चाहिए । इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से निश्चित ही कर्ज, ऋण व आर्थिक बाधा से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं ऋण मोचक मंगल स्तोत्र.....
ऋण मोचक मंगल स्तोत्र
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
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