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मंगल चण्डिका स्तोत्र mangal chandika stotra

  मंगलीदोष निवारणार्थे मंगल चण्डिका स्तोत्र     अगर आपकी कुण्डली में मांगलिक दोष है, जिसके कारन आपका   विवाह  नहीं हो रहा हो  विवाह में विलम्ब हो रहा है या एक से अधिक विवाह का योग है तो अवश्य यह अनुष्ठान करना या करवाना चाहिए..  मंत्र  आं ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वपूज्ये देवी मंगलचण्डिके हूं हूं फट् स्वाहा  मङ्गल चण्डिका स्तोत्र   || ध्यानम् || देवीं  षोडशवर्षीयां  शश्वत्सुस्थिरयौवनाम् |  बिंबोष्ठीं सुदतीं शुद्धां शरत्पद्मनिभानननाम् ||  श्वेतचंपकवर्णाभां सुनीलोत्पल लोचनाम् |  जगद्धात्रीं च दात्रीं च सर्वेभ्यः सर्वसंपदाम् | संसार सागरे घोरे ज्योतिरुपां सदाभजे ||  || स्तोत्रम् ||  || महादेव उवाच ||  रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मंगलचण्डिके |  हारिके विपदां राशेर्हर्षमङ्गलकारिके || १ ||  हर्ष मंगलदक्षे च हर्षमंगलदायिके |  शुभे मंगलदक्षे च शुभे मंगलचण्डिके || २ ||  मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगलमंगले |  सतां मंगलदे देवि सर्वेषां मङ्गलालये || ३ ||  पूज्ये मंगलवारे च मङ्गलाभीष्ट...

दुर्गा सप्तशती पाठ 1 प्रथम अध्याय || by geetapress gorakhpur ||

श्री दुर्गा सप्तशती प्रथम..  मेधा ऋषि का राजा सुर और समाधि कोगवती की महिमा भग मधु – कन्व- वध काथना । विनिगः॥ ॐ प्रथमचरित्रस्य ब्रह्म ऋषिः, महाकाली देवता, गायत्री छन्दः, नंद शक्तिः, रक्तदंतिका बीजम्, अग्निस्तत्वम्, ऋग्वेदः स्वरूपम्, श्रीमहाकाली प्रीतिर्थे प्रथम पंचरजपे विनिगः। प्रथम वैशिष्ट्य के ब्रह्म ऋषि, महाकाली देवता, गौत्री छन्द, नंद शक्ति, रक्तदंतिका बीज, अग्नि तत्व और ऋग्वेद स्वरूप है। श्री महाकाली देवता की प्रसन्नता के गुणों के लिए जप में विनियोग होगा । ध्यानम्॥ ॐ खड्‌गं चक्रगदेशुचापपरिघनछिलं भुशुंदिंग शिरः शंखं संधतिं करैस्त्रिनयानं सर्वाङ्गभूषावृताम्। नीलश्मदुतिमास्यपाददशकं सेवे महां यामस्तौत्स्वपिते हरौकमलोजो हनतूं मधुं अच्छींभम्॥१॥ अस्तु विष्णु के सॉल्‍पर्व के यंत्र और धुरंधर धूल के कण्‍डवाल्‍कीय ब्रह्माजी नेन्‍स्‍ट ‍स्‍टण्‍ण्‍ण्‍णीय यंत्र, अण् महाकाली व्‍यक्‍ति। वे अपने डोस्क में खड्ग, चक्र, गदा, बाण, धनु, परिध, शूल, भुशुण्डी, मस्तक और शंख कोरिंग है। आंखों की आंखें हैं। वे समस्त अंगों में दिव्य आभूषणों से विभूषित हैं। उनके..  नमिष्कण्डिकायै "ॐ ऐं" मार्कण्डेय उवाच ...

शिवसहस्रनामावलि भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए महाशिवरात्रि पर करे यह शिवसहस्रनामावलि का जाप

जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए इस महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर  "शिवसहस्रनामावलिः" का पाठ जरूर करें। हर एक नाम के साथ बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाएं।  महाशिवरात्रि 11 मार्च 2021  शिवसहस्रनामावलिः .. ॐ स्थिराय नमः .. ॐ स्थाणवे नमः .. ॐ प्रभवे नमः .. ॐ भीमाय नमः .. ॐ प्रवराय नमः .. ॐ वरदाय नमः .. ॐ वराय नमः .. ॐ सर्वात्मने नमः .. ॐ सर्वविख्याताय नमः .. ॐ सर्वस्मै नमः .. १०.. ॐ सर्वकराय नमः .. ॐ भवाय नमः .. ॐ जटिने नमः .. ॐ चर्मिणे नमः .. ॐ शिखण्डिने नमः .. ॐ सर्वाङ्गाय नमः .. ॐ सर्वभावनाय नमः .. ॐ हराय नमः .. ॐ हरिणाक्शाय नमः .. ॐ सर्वभूतहराय नमः .. २०.. ॐ प्रभवे नमः .. ॐ प्रवृत्तये नमः .. ॐ निवृत्तये नमः .. ॐ नियताय नमः .. ॐ शाश्वताय नमः .. ॐ ध्रुवाय नमः .. ॐ श्मशानवासिने नमः .. ॐ भगवते नमः .. ॐ खचराय नमः .. ॐ गोचराय नमः .. ३०.. ॐ अर्दनाय नमः .. ॐ अभिवाद्याय नमः .. ॐ महाकर्मणे नमः .. ॐ तपस्विने नमः .. ॐ भूतभावनाय नमः .. ॐ उन्मत्तवेश्हप्रच्च्हन्नाय नमः .. ॐ सर्वलोकप्रजापतये नमः .. ॐ महारूपाय नमः .. ॐ महाकायाय नमः .. ॐ वृश्हरूपाय नमः .. ४०.. ॐ महायशसे न...

बिल्वाष्टकम्. से करे भोलेनाथ को प्रसन्न

बिल्वाष्टकम्   त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम् । त्रिजन्मपाप-संहारमेकबिल्वं शिवार्पणम्।।1।।    त्रिशाखैर्बिल्वपत्रैश्च ह्यच्छिद्रै: कोमलै: शुभै: । शिवपूजां करिष्यामि ह्येकबिल्वं शिवार्पणम्।।2।।  अखण्डबिल्वपत्रेण पूजिते नन्दिकेश्वरे । शुद्धयन्ति सर्वपापेभ्यो ह्येकबिल्वं शिवार्पणम्।।3।।    शालिग्रामशिलामेकां विप्राणां जातु अर्पयेत्। सोमयज्ञ-महापुण्यमेकबिल्वं शिवार्पणम्।।4।।    दन्तिकोटिसहस्त्राणि वाजपेयशतानि च । कोटिकन्या-महादानमेकबिल्वं शिवार्पणम्।।5।।    लक्ष्म्या: स्तनत उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम्। बिल्ववृक्षं प्रयच्छामि ह्येकबिल्वं शिवार्पणम्।।6।।    दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम्। अघोरपापसंहारमेकबिल्वं शिवार्पणम्।।7।।    काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनम्। प्रयागमाधवं दृष्ट्वा एक बिल्वं शिवार्पणम्  ।।8।।    मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे । अग्रत: शिवरूपाय ह्येकबिल्वं शिवार्पणम्।।9।।    बिल्वाष्टकमिदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ। सर्वपापविनिर्मुक्त: शिवलोकमवाप्न...

शिव तांडव स्तोत्रम् (Shiv Tandav Stotram) रावन रचित शिव तांडव स्तोत्रम्

शिव तांडव स्तोत्रम् (Shiv Tandav Stotram) ॐ हर हर महादेव ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्। डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥१॥ जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि। धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम॥२॥ धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे। कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि   क्वचिच्चिदम्बरे  मनो विनोदमेतु वस्तुनि॥३॥ जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे। मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि॥४॥ सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः। भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥ ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम्। सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः॥६॥ करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके। धराधरेन्द्रनन...