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श्रीराम दुर्गस्तोत्रम्

 ।। अथ श्रीरामदुर्गस्तोत्रम् ।।


ॐ अस्य श्रीरामदुर्गस्तोत्रमन्त्रस्य कौशिकऋषिरनुष्टुप्छन्दः

श्रीरामो देवता रां बीजं नमः शक्ति।

रामाय कीलकम् श्रीरामप्रसादसिद्धिद्वारा मम सर्वतो

रक्षापूर्वकनानाप्रयोगसिध्यर्थे श्रीरामदुर्गमन्त्रस्य पाठे विनियोगः।


ॐ ऐं क्लीं ह्रीं रीं चों ह्रीं रीं चों ह्रीं श्रीं आं क्रौं

ॐ नमोभगवते रामाय मम सर्वाभीष्टं साधय साधय फट् स्वाहा।।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ रामाय नमः।।


ॐ नमो भगवते रामाय मम प्राच्यां ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल निर्धनं

सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा।।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ॐ लं लक्ष्मणाय नमः।


ॐ नमो भगवते लक्ष्मणाय मम याम्यां ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

मां रक्ष रक्ष सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा।।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ भं भरताय नमः।


ॐ नमो भगवते भरताय मम प्रतीच्यां ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष

सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा।।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ शं शत्रुघ्नाय नमः।


ॐ नमो भगवते शत्रुघ्नाय मम उदीच्यां ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष

सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा।।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ जानक्यै नमः।


ॐ नमो भगवते मे ऐशान्यां ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष

सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा।।


ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ सुं सुग्रीवाय नमः।


ॐ नमो भगवते सुग्रीवाय ममाग्नेय्यां ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष

सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा।।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ विं विभीषणाय नमः।


ॐ नमो भगवते विभीषणाय मम नैरृत्यां ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष

सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा।।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ वं वायुसुताय नमः।


ॐ नमो भगवते वायुसुताय मम वायव्यां ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष

सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा।।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ मं महावीरविष्णवे नमः।


ॐ नमो भगवते महाविष्णवे मम ऊर्ध्वं ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष

सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा।।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ नृं नृसिंहाय नमः।


ॐ नमो भगवते नृसिंहाय मम मध्ये ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष

सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा।।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ वं वामनाय नमः।


ॐ नमो भगवते वामनाय मम अधो ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष

सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा।।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ॐ कं केशवाय नमः।


ॐ नमोभगवते केशवाय मम सर्वतः ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष

सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा।।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ मं मर्कटनायकाय नमः।


ॐ नमो भगवते मर्कटनायकाय मम सर्वदा ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष

सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा।।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ कं कपिनाथाय कपिपुङ्गवाय नमः।


ॐ नमो भगवते कपिपुङ्गवाय मम चतुर्द्वारं सदा ज्वल ज्वल

प्रज्वल प्रज्वल निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष

सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा।।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं रां रीं चों ह्रीं श्रीं आं क्रौं

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ नमो भगवते रामाय सर्वाभीष्टं साधय साधय

हूं फट् स्वाहा।।


।। इति श्रीरामदुर्गस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।

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